Glossary entry

English term or phrase:

spiritual eye

Hindi translation:

दिव्य नेत्र / तृतीय नेत्र

Added to glossary by bestofbest
May 7, 2015 15:32
9 yrs ago
English term
Change log

May 10, 2015 08:27: bestofbest changed "Edited KOG entry" from "<a href="/profile/2044888">pytrans's</a> old entry - "spiritual eye"" to ""दिव्य नेत्र, तृतीय नेत्र""

Proposed translations

+1
5 mins
Selected

दिव्य नेत्र, तृतीय नेत्र

शिव जी की तीसरी आँख, या उनका तृतीय नेत्र। दिव्य नेत्र भी ठीक है।

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Note added at 8 mins (2015-05-07 15:40:55 GMT)
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Spiritual शब्द का अनुवाद दिव्य ही ठीक है।
Note from asker:
धन्यवाद
Peer comment(s):

agree Lalit Sati
2 hrs
Something went wrong...
4 KudoZ points awarded for this answer.
3 mins

आध्यात्मिक आँख

I like it for the alliteration in it!
Note from asker:
धन्यवाद
Something went wrong...
3 mins

आध्यात्मिक नेत्र

literal translation would be आध्यात्मिक नेत्र

If you could provide context, it would be better
Note from asker:
धन्यवाद
Something went wrong...
3 mins

आध्यात्मिक नजर या दृष्टि

इसके लिए आध्यात्मिक नजर या दृष्टि का उपयोग किया जा सकता है।
Something went wrong...
+2
4 mins

आध्यात्मिक चिंतन, आध्यात्मिक दृष्टि, आध्यात्मिक दर्शन, आध्यात्मिक सोच

I am not quite aware of the context but I think that one of these suggestions should serve your purpose.
Note from asker:
धन्यवाद
धन्यवाद
Peer comment(s):

agree Ashutosh Mitra
5 mins
agree Parvathi Pappu
23 mins
Something went wrong...
51 mins

अध्यात्मिक समझ

Spititual eye means understanding of spirituality.
Example sentence:

उनके पास अध्यात्मिक समझ है।

Something went wrong...
1 hr

आध्यात्मिक दृष्टि या दृष्टिकोण

here eye could even mean viewpoint
Something went wrong...
+2
2 hrs

तीसरा नेत्र / आज्ञा चक्र / छठा चक्र / शिव नेत्र / ज्ञान नेत्र


http://en.wikipedia.org/wiki/Third_eye

http://en.wikipedia.org/wiki/Ajna

http://www.ananda.org/meditation/meditation-support/articles...

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Note added at 3 hrs (2015-05-07 18:50:44 GMT)
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"दिव्य-दृष्टि अथवा तीसरी आँख – दिव्य-दृष्टि वह दृष्टि होती है जिसके द्वारा दिव्य-ज्योति अथवा नूरे इलाही का दर्शन या दीदार किया जाता है। दिव्य-दृष्टि को ही ध्यान केंद्र भी कहा जाता है। शरीर के अन्तर्गत यह एक प्रकार की तीसरी आँख भी कहलाती है। इसी तीसरे नेत्र वाले होने के कारण शंकर जी का एक नाम त्रिनेत्र भी है। यह दृष्टि ही सामान्य मानव को सिद्ध-योगी, सन्त-महात्मा अथवा ऋषि-महर्षि बना देती है बशर्ते कि वह मानव इस तीसरी दृष्टि से देखने का भी बराबर अभ्यास करे। योग-साधना आदि क्रियाओं को सक्षम गुरु के निर्देशन के बिना नहीं करनी चाहिए अन्यथा विशेष गड़बड़ी की सम्भावना बनी रहती है।"
(http://www.atomtoalmighty.com/Home.aspx)
Peer comment(s):

agree Alka Kumar : I personally feel 'divya' is divine and in that sense 'divya drishti ' could be considered तीसरी आँख but the word used here is आध्यात्मिक which actually means spiritual. May be if the asker gives the context, appropriate translation could be given.
14 hrs
agree Dhananjay Chaube
211 days
Something went wrong...
7 days

दिव्य दृष्टि

ञान दृष्टि से मनुष्य ज्ञान जगत से संबंधित समस्त बातों को साक्षात भाव में अनुभव कर सकता है। उसी तरह अज्ञान दृष्टि से अज्ञान के जगत और जगत के सभी पदार्थो को भिन्न-भिन्न रूप में अनुभव कर लेता है। जिन दो आंखों से हम परिचित हैं, जिन दो आंखों से हम देखते हैं, जिन दो चक्षुओं को हम जानते हैं, वे अज्ञान के चक्षु हैं। अज्ञान की स्थिति में ये दो आंखें काम करती हैं और ज्ञान की दृष्टि बंद रहती है। जब ज्ञान दृष्टि खुल जाती है, तब अज्ञान दृष्टि बंद हो जाती है। जिस तरह अज्ञान दृष्टि बाहर की ओर (बाहरी जगत) काम करती है, उसी प्रकार ज्ञान दृष्टि भीतर (आंतरिक जगत) की ओर काम करती है। दोनों में क्रिया एक ही तरह है।

ज्ञान और विज्ञान परिचित आंखों और अदृश्य आंखों का एक भाव भी है। एक सम स्थिति भी है। जहां दोनों नहीं होते हैं, इन दोनों से अलग तीसरी आंख हैं, जिसे त्रिनेत्र भी कहा जाता है। त्रिनेत्र को दिव्य दृष्टि कह सकते हैं, जो ज्ञानमय दृष्टि है। अज्ञानमय दृष्टि का जिस तरह से उत्तराधिकारी मनुष्य है, उसी प्रकार से इस तीसरी आंख का भी अधिकारी मनुष्य होता है। त्रिनेत्र शक्ति का स्थान है। जब त्रिनेत्र शक्ति का जागरण होता है तो हमें दृश्य जगत के माया का बोध हो जाता है। आशय यही है कि संबंधित व्यक्ति को सत्य और असत्य के बीच का अंतर पता लग जाता है। दृश्य जगत से अदृश्य जगत के बोध के लिए और इस भौतिक अज्ञानमय जगत के तत्वों से अलग हटकर सूक्ष्म जगत की सूक्ष्म गति विधियों में रहने के लिए त्रिनेत्र का विशेष महत्व है। दिव्य भाव में आत्ममय होने और भगवत अनुग्रह पाकर भगवतमय होने के लिए आंतरिक ज्ञानमय शक्ति आवश्यक है, जो त्रिनेत्र पर ध्यान केंद्रित होने पर ही संभव है। त्रिनेत्र पर ध्यान केंद्रित होने पर परम सत्ता के साथ साक्षात्कार होता है। इस पूर्णता को प्राप्त कर लेने पर तीसरी आंखें खोल लेने के बाद ज्ञान शक्ति और अज्ञान शक्ति दोनों ही उस मनुष्य के अधिकार में होती है। स्पष्ट है, आंतरिक त्रिनेत्र के खुलने के बाद संबंधित व्यक्ति संसार और परम चेतन तत्व की अच्छी तरह से अनुभूति करने लगता है।
- See more at: http://www.jagran.com/spiritual/urja-divine-eyes-11678299.ht...
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